2016-06-15T09:41:49+00:00
यह मेरी लाश पड़ी हुई है , चंद लोगों की भीड़ जमा हुई है अब सवालों के बोझ से हर सांस नहीं लेनी पड़ेगी , पर जवाबों से मुलाकात की गुंजाइश नहीं रही है अब हसने के मौके भी नहीं रहे , न गम के आसूं बहाने के मौके रहे अब हर रोज़ बैंक बैलेंस की चिंता नहीं करनी , बेचारे जो ज़िंदा है उनकी कश्मकश चलती रहेगी यह कैसी दुनिया रची है इंसानों ने एक को २५ करोड़ में नवाज़ा जाता है पर जो दिन भर मेहनत करता है वह धुप में ही सोता है ।